भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती |
वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना ||१||
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवी बळें |
सौख्यकारी दुःखहारी, दुत वैष्णव गायका ||२||
दीनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदांतरा |
पाताळदेवताहंता, भव्यसिंदूरलेपना ||३||
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना |
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परितोषका ||४||
ध्वजांगे उचली बाहो, आवेशें लोटला पुढें |
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ||५||
ब्रह्मांडे माईलें नेणों, आवळे दंतपंगती |
नेत्राग्नीं चालिल्या ज्वाळा, भ्रुकुटी ताठिल्या बळें ||६||
पुच्छ ते मुरडिले माथा, किरीटी कुंडले बरीं |
सुवर्ण कटी कांसोटी, घंटा किंकिणी नागरा ||७||
ठकारे पर्वता ऐसा, नेटका सडपातळू |
चपळांग पाहतां मोठे, महाविद्युल्लतेपरी ||८||
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे |
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधें उत्पाटिला बळें ||९||
आणिला मागुतीं नेला, आला गेला मनोगती |
मनासी टाकिलें मागें, गतीसी तुळणा नसे ||१०||
अणुपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे |
तयासी तुळणा कोठे, मेरू मंदार धाकुटे ||११||
ब्रह्मांडाभोवतें वेढें, वज्रपुच्छें करू शकें |
तयासी तुळणा कैची, ब्रह्मांडी पाहता नसे ||१२||
आरक्त देखिलें डोळा, ग्रासिलें सूर्यमंडळा |
वाढतां वाढतां वाढें, भेदिलें शून्यमंडळा ||१३||
धनधान्य पशूवृद्धि, पुत्रपौत्र समग्रही |
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्रपाठें करूनियां ||१४||
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही |
नासती तूटती चिंता, आनंदे भीमदर्शनें ||१५||
हे धरा पंधरा श्लोकी, लाभली शोभली बरी |
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चन्द्रकळागुणें ||१६||
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासि मंडणू |
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ||१७||
॥ इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।
भीमरूपी महारुद्रा, वज्रहनुमान मारुती | वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना
भीमरूपी महारुद्रा
भीमरूपी महारुद्रा का अर्थ है, हनुमानजी का भयंकर रूप जो भगवान रुद्र के समान है। यह उनके बल और शक्ति का प्रतीक है। वज्रहनुमान का मतलब वज्र के समान कठोर शरीर वाला, जो किसी भी विपत्ति को सहन कर सकता है। हनुमानजी को मारुती भी कहा जाता है क्योंकि वे पवन के पुत्र हैं और उनका शरीर वायु के समान तीव्र और हल्का है।
वनारी अंजनीसूता रामदूता प्रभंजना
हनुमानजी अंजनी माता के पुत्र हैं, जिन्हें अंजनीसूता कहा जाता है। वे रामदूत हैं, यानी भगवान श्रीराम के दूत, जिन्होंने राम के संदेश को लंका तक पहुंचाया। प्रभंजना का अर्थ है, वे जो किसी भी विघ्न या बाधा को नष्ट कर सकते हैं।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवी बळें | सौख्यकारी दुःखहारी, दुत वैष्णव गायका
महाबळी प्राणदाता
हनुमानजी को महाबली कहा जाता है क्योंकि वे अत्यधिक शक्ति और बल के स्वामी हैं। वे प्राणदाता हैं, यानी जीवन देने वाले, जो जीवन के हर संकट से रक्षा करते हैं।
सौख्यकारी दुःखहारी
हनुमानजी सौख्यकारी हैं, यानी सुख प्रदान करने वाले, और दुःखहारी हैं, यानी दुखों को दूर करने वाले। वे वैष्णव दूत हैं और भक्तों के लिए कल्याणकारी हैं। वैष्णव गायका का मतलब है, जो भगवान विष्णु के भक्तों के संदेशवाहक हैं।
दीनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदांतरा | पाताळदेवताहंता, भव्यसिंदूरलेपना
दीनानाथा हरीरूपा
हनुमानजी को दीनानाथ कहा जाता है, जो गरीबों और असहायों के रक्षक हैं। वे हरीरूपा हैं, यानी भगवान विष्णु के स्वरूप हैं।
पाताळदेवताहंता
पाताल लोक के दुष्ट देवताओं का नाश करने वाले हनुमानजी को पातालदेवताहंता कहा गया है। भव्यसिंदूरलेपना का मतलब है उनके माथे पर भव्य सिंदूर का लेपन, जो उनकी शक्तिशाली और पवित्रता का प्रतीक है।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना | पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परितोषका
लोकनाथा जगन्नाथा
हनुमानजी को लोकनाथ कहा गया है, यानी संसार के रक्षक, और जगन्नाथ का अर्थ है पूरे जगत के स्वामी।
पुण्यवंता पुण्यशीला
वे पुण्यवान और पुण्यशील हैं, जिनकी उपासना करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। पावना परितोषका का अर्थ है, वे भक्तों को संतोष और शांति प्रदान करने वाले हैं।
ध्वजांगे उचली बाहो, आवेशें लोटला पुढें | काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें
ध्वजांगे उचली बाहो
हनुमानजी ने अपनी बाहों को ऊपर उठाया और युद्ध के मैदान में ध्वज के रूप में प्रकट हुए। वे पूरी शक्ति और आवेश के साथ आगे बढ़े।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी
कालाग्नि और कालरुद्राग्नि का अर्थ है, हनुमानजी की शक्ति और क्रोध काल के समान भयानक और विध्वंसक है। उनके रूप को देखकर शत्रु भय से कांपने लगते हैं।
ब्रह्मांडे माईलें नेणों, आवळे दंतपंगती | नेत्राग्नीं चालिल्या ज्वाळा, भ्रुकुटी ताठिल्या बळें
ब्रह्मांडे माईलें नेणों
उनका रूप इतना विशाल और भयंकर है कि ब्रह्मांड भी उनके सामने छोटा पड़ता है। वे अपने दांतों को भींचकर युद्ध के लिए तैयार होते हैं।
नेत्राग्नीं चालिल्या ज्वाळा
उनकी आंखों से ज्वालाएं प्रकट होती हैं और उनकी भ्रुकुटी (भौंहें) क्रोध से तन जाती हैं, जो उनके क्रोध और युद्ध के संकल्प को दर्शाता है।
पुच्छ ते मुरडिले माथा, किरीटी कुंडले बरीं | सुवर्ण कटी कांसोटी, घंटा किंकिणी नागरा
पुच्छ ते मुरडिले माथा
हनुमानजी का पूंछ उनके बल और सामर्थ्य का प्रतीक है। उनके सिर पर मुकुट और कानों में कुंडल शोभा बढ़ाते हैं।
सुवर्ण कटी कांसोटी
वे स्वर्णिम कमरबंध (कटी) धारण करते हैं, और घंटा-किंकिणी की ध्वनि उनके चारों ओर गूंजती रहती है, जो उनकी महिमा को और भी बढ़ाती है।
ठकारे पर्वता ऐसा, नेटका सडपातळू | चपळांग पाहतां मोठे, महाविद्युल्लतेपरी
ठकारे पर्वता ऐसा
हनुमानजी पर्वत के समान स्थिर और अडिग हैं, लेकिन उनका शरीर सडपातल (मजबूत और आकर्षक) है।
महाविद्युल्लतेपरी
उनकी गति और चपलता विद्युत की तरह है, जो अत्यधिक तीव्र और असाधारण है।
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे | मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधें उत्पाटिला बळें
कोटिच्या कोटि उड्डाणें
हनुमानजी के उड्डान की गति इतनी तेज है कि वह करोड़ों में गिनी जाती है। वे उत्तरी दिशा की ओर झपटते हैं।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू
हनुमानजी ने अपने क्रोध में मंद्राचल पर्वत को उठाकर अपने कंधे पर धारण कर लिया।
आणिला मागुतीं नेला, आला गेला मनोगती | मनासी टाकिलें मागें, गतीसी तुळणा नसे
आणिला मागुतीं नेला
वे जिस स्थान पर मन में ठानते हैं, उसी क्षण वहां पहुंच जाते हैं। उनकी गति को मापना असंभव है।
अणुपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे | तयासी तुळणा कोठे, मेरू मंदार धाकुटे
अणुपासोनि ब्रह्मांडाएवढा
हनुमानजी का रूप कभी अणु के समान छोटा हो जाता है, तो कभी ब्रह्मांड के समान विशाल।
धनधान्य पशूवृद्धि, पुत्रपौत्र समग्रही | पावती रूपविद्यादी, स्तोत्रपाठें करूनियां
धनधान्य पशूवृद्धि
जो भी व्यक्ति हनुमानजी के इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे धन, धान्य, संतान और अन्य सुखों की प्राप्ति होती है।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही | नासती तूटती चिंता, आनंदे भीमदर्शनें
भूतप्रेतसमंधादी
हनुमानजी के दर्शन से भूत-प्रेत, समंध (भय) और सभी प्रकार की बीमारियां नष्ट हो जाती हैं।