ॐ हं हनुमंते नम: ,
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।
महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते।
हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

हनुमान मंत्रों का महत्व और विवेचन

हनुमान जी, जिन्हें वीर बजरंगबली भी कहा जाता है, को हिंदू धर्म में शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी आराधना से भक्तों को साहस, बल और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यहां दो प्रमुख हनुमान मंत्र दिए गए हैं जिनका गहन अर्थ और महिमा है।

ॐ हं हनुमंते नम:

यह मंत्र हनुमान जी के प्रति श्रद्धा, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। इस मंत्र का जाप करने से जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए इस मंत्र के प्रत्येक शब्द का अर्थ और महत्व समझते हैं:

1. ॐ

यह ब्रह्मांड का आदि स्वर है। यह ध्वनि ईश्वर का प्रतीक है और सभी मंत्रों की शुरुआत में इसका उच्चारण किया जाता है ताकि मंत्र में दिव्यता और शक्ति का संचार हो।

2. हं

यह बीज मंत्र है। हं बीज मंत्र का सीधा संबंध हनुमान जी की शक्ति और साहस से है। यह मंत्र हनुमान जी की ऊर्जा को जागृत करता है और साधक के अंदर दृढ़ता और आत्मबल को जागृत करता है।

3. हनुमंते

यह हनुमान जी का नाम है। हनुमान जी को हर संकट को दूर करने और हर असंभव को संभव बनाने वाला देवता माना जाता है।

4. नम:

इसका अर्थ है “नमन” या “आदरपूर्वक प्रणाम करना”। जब हम किसी देवता को नमन करते हैं, तो हम उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की आकांक्षा रखते हैं।

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ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट। महाबलाय वीराय चिरंजीवीन उद्दते। हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये।।

इस मंत्र में हनुमान जी की रुद्रात्मक शक्ति, उनके असीम बल, अमरता, और अपार वीरता का वर्णन किया गया है। यह मंत्र उनके बल, साहस और अजेय होने की स्तुति करता है।

1. रुद्रात्मकाय

रुद्र का अर्थ है शिव, और हनुमान जी शिव के अवतार माने जाते हैं। यह शब्द हनुमान जी की शिव से संबंधितता को दर्शाता है।

2. हुं फट

यह मंत्र की शक्ति को जगाने का एक तरीका है। ‘हुं’ ऊर्जा का प्रतीक है और ‘फट’ मंत्र के माध्यम से नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं को समाप्त करने का संकेत है।

3. महाबलाय

यह हनुमान जी के असीम बल को दर्शाता है। उन्हें महाबली कहा जाता है, जो हर प्रकार की बाधाओं को दूर करने में सक्षम हैं।

4. वीराय

यह हनुमान जी की वीरता और साहस को दर्शाता है। हनुमान जी को अद्वितीय वीरता के लिए जाना जाता है।

5. चिरंजीवीन

हनुमान जी अमर हैं, और इस शब्द का सीधा अर्थ है “जो चिरकाल तक जीवित रहें”। वे धरती पर हमेशा उपस्थित रहकर भक्तों की रक्षा करते हैं।

6. वज्र देहाय

हनुमान जी का शरीर वज्र के समान कठोर और अजेय है। किसी भी शस्त्र से उन्हें चोट नहीं पहुंचाई जा सकती।

7. चोलंग्घितमहाव्यये

इसका अर्थ है “जो बड़े-बड़े पर्वतों को पार कर सकते हैं”। यह हनुमान जी की असाधारण शक्तियों और क्षमताओं को दर्शाता है।

ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

यह मंत्र हनुमान जी की शक्तियों, उनके रामदूत होने, और शत्रु विनाशक होने का वर्णन करता है। यह मंत्र विशेष रूप से हर प्रकार की बाधाओं और बीमारियों को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए किया जाता है।

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1. रुद्रावताराय

हनुमान जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, और इस शब्द से यह विशेष रूप से उनकी रुद्र (शिव) रूप में शक्ति का उल्लेख होता है।

2. सर्वशत्रुसंहारणाय

इसका अर्थ है “सभी शत्रुओं का विनाश करने वाला”। यह मंत्र हनुमान जी की उस शक्ति को दर्शाता है जो उन्हें शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

3. सर्वरोग हराय

यह मंत्र हनुमान जी की उस क्षमता को दर्शाता है जिससे वे सभी प्रकार के रोगों और परेशानियों को समाप्त कर सकते हैं।

4. सर्ववशीकरणाय

यह शब्द हनुमान जी की आकर्षण शक्ति को दर्शाता है। इसका मतलब है कि वे हर प्रकार की बाधा को वश में कर सकते हैं।

5. रामदूताय

हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त और उनके दूत हैं। यह शब्द उनके रामजी के प्रति समर्पण और सेवा भाव को दर्शाता है।

6. स्वाहा

यह मंत्र का अंतिम भाग है, जो अग्नि में समर्पण का प्रतीक है। स्वाहा का अर्थ है कि मंत्र की ऊर्जा को साकार किया जाए और यह ब्रह्मांड में अपनी शक्ति से प्रभावी हो।


हनुमान जी की उपासना और इन मंत्रों का जाप व्यक्ति के जीवन में साहस, शक्ति, और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।