तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1||

ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |

तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||

ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि |

तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||

तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1||

मंत्र का अर्थ

यह मंत्र भगवान हनुमान के प्रति समर्पित है। इसमें “तन्नो हनुमान प्रचोदयात” का अर्थ होता है, “भगवान हनुमान हमें प्रेरणा दें।” यह मंत्र शक्ति, साहस, और बुद्धि के लिए प्रार्थना है, जिसमें भगवान हनुमान से आशीर्वाद और मार्गदर्शन की याचना की गई है।

मंत्र की व्याख्या

  • तन्नो: “तन्न” का अर्थ होता है “हमारा” या “हमें”।
  • हनुमान: हनुमान भगवान का नाम है, जो अपनी शक्ति, भक्ति और ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।
  • प्रचोदयात: इसका अर्थ है “प्रेरणा दें” या “मार्गदर्शन करें”।

इस मंत्र में भगवान हनुमान से प्रार्थना की गई है कि वे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करें।

ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि

मंत्र का अर्थ

यह मंत्र भगवान हनुमान के बारे में है, जहां उन्हें “रामदूत” यानी भगवान राम के संदेशवाहक के रूप में संबोधित किया गया है। यह मंत्र भगवान हनुमान की महानता, उनके बल और बुद्धिमता का वर्णन करता है।

  • रामदूताय: इसका अर्थ है “भगवान राम के दूत”।
  • विद्मिहे: यह शब्द संस्कृत का है, जिसका अर्थ होता है “हम जानते हैं”।
  • कपिराजाय: इसका अर्थ है “वानरों के राजा”।
  • धीमहि: इसका अर्थ है “हम ध्यान करते हैं” या “हम ध्यान लगाते हैं”।

मंत्र की व्याख्या

इस मंत्र में, साधक भगवान हनुमान का ध्यान करता है, उन्हें राम के दूत और वानरों के राजा के रूप में जानता और सम्मान करता है। यह ध्यान और भक्ति का एक रूप है, जिसमें भगवान हनुमान से शक्ति और साहस की प्राप्ति की प्रार्थना की जाती है।

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तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||

मंत्र का अर्थ

यह एक और प्रार्थना मंत्र है, जिसमें “मारुति” शब्द का प्रयोग भगवान हनुमान के लिए किया गया है। “तन्नो मारुति प्रचोदयात” का अर्थ होता है “मारुति (हनुमान) हमें प्रेरणा दें।”

  • मारुति: यह हनुमान जी का दूसरा नाम है, जो पवन देव के पुत्र होने के कारण उन्हें मिला।
  • प्रचोदयात: इसका अर्थ है “प्रेरित करें” या “मार्गदर्शन करें”।

मंत्र की व्याख्या

इस मंत्र में, भगवान हनुमान से प्रार्थना की जाती है कि वे हमें अपने जीवन के हर चरण में साहस और शक्ति दें। यह ध्यान और भक्ति का प्रतीक है, जहां भक्त हनुमान जी से मार्गदर्शन और आशीर्वाद की याचना करता है।

ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि

मंत्र का अर्थ

इस मंत्र में भगवान हनुमान को “अंजनीसुत” यानी माता अंजनी के पुत्र के रूप में संबोधित किया गया है। इसके साथ ही, उन्हें “महाबल” यानी महान बल के स्वामी के रूप में भी वर्णित किया गया है।

  • अंजनीसुताय: यह भगवान हनुमान का एक नाम है, जिसका अर्थ है “अंजनी के पुत्र”।
  • विद्मिहे: इसका अर्थ है “हम जानते हैं”।
  • महाबलाय: इसका अर्थ है “महान बल वाला”।
  • धीमहि: इसका अर्थ है “हम ध्यान करते हैं” या “हम ध्यान लगाते हैं”।

मंत्र की व्याख्या

इस मंत्र में साधक भगवान हनुमान का ध्यान करता है और उनके महान बल और शक्ति की सराहना करता है। यह मंत्र हनुमान जी के अद्वितीय बल और बुद्धि का आह्वान करता है, जिससे साधक को जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिल सके।

तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||

मंत्र का अर्थ

यह उसी प्रकार का मंत्र है जैसा कि पहले आया है, जिसमें “मारुति” का अर्थ है हनुमान जी, और उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे हमें प्रेरित करें और हमारे जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करें।

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मंत्र की व्याख्या

इस मंत्र में, भगवान हनुमान से प्रार्थना की जाती है कि वे साधक को हर चुनौती और कठिनाई में साहस और बुद्धि प्रदान करें।